ब्लॉग / blog

  • word of the week : हुड़दंग

    हुड़दंग भीड़ में ही हुड़दंग संभव है। इसमें शरीर और आवा‌ज़ों की बेतरतीब गतियाँ हैं। इसमें एक क़िस्म की नक़ारात्मक छवि है, जो उस स्थान की तात्कालिक व्यवस्था को चुनौती देती है। अफरातफरी, हड़बड़ी और कहीं – कहीं भगदड़ इसका अहम हिस्सा है। इसमें उन्माद के साथ एक – दूसरे से होड़ और हैरानी का…

  • word of the week : सन्नाटा

    सन्नाटा सन-सन की आवाज़ से पैदा हुआ ख़ामोशी का यह पर्याय कितना दिलचस्प है! ‘मुर्दा शांति’ या ‘पिन ड्रॉप सायलेन्स’ को भी अभिव्यक्ति के लिए आवाज़ की ज़रूरत होती है। सन्नाटा यानि जब आवाज़ों का अभाव इतना तीखा हो कि उसका अहसास आप पर भारी पड़ जाए। ऐसी ख़ामोशी जहाँ आप अपनी हरकत को ही…

  • word of the week: आहट / aahat

    आहट / aahat ये आवाज़ का एक अहसास है। किसी छोटी- सी हरकत या गति से पैदा होती है। अपने हल्केपन के कारण साफ़ सुनने के रेंज से नीचे ही रहती है। आहट सुनने के लिए चौकन्ना होना पड़ता है। इसमें यथास्थिति के टूटने का भाव है। सुनने वाले के लिये आहट चौंकाती है या…

  • word of the week: कर्कश आवाज़

    कर्कश आवाज़ कर्कश आवाज़ को कान झेलते हैं। कर्कश आवाज़ में क्या कहा जा रहा है, उसे समझने से पहले उसके अंदाज़ और उसका वॉल्यूम से दिमाग अटक जाता है। ये मधुर आवाज़ का विलोम है। ये आवाज़ किसे पसंद है ? शायद उसको भी नहीं जों इसका इस्तेमाल करता है। यशोदा translation: a hoarse/grating…

  • word of the week: सिसकियाँ

    सिसकियाँ बहुत तेज़ रुलाई के फूटने के साथ और आँसूओं के सूख जाने के बाद ये उभरती है। खामोशी और सन्नाटे के बीच ये डूबी-दबी-चिपकी हुई बड़ी रुलाई की छोटी बहन है। ये निज़ी है और दबाव को कम करने के इशारे के साथ होती है। ये नाक के हकलाने से ज़िंदा होती है और…

  • word of the week: कराहना

    कराहना यह शरीर के असहय दर्द के संकेत की अस्पष्ट आवाज़ है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कराहने वाला शारीरिक पीड़ा और तड़प में है। कराहना बिना शब्दों के शरीर की आवाज़ है। कराहने में बड़बड़ाने की भी परछाई आवाज़ छुपी है। translation: groan – the inarticulate rattle of the body voicing pain…

  • word of the week: हुल्लड़

    हुल्लड़ यानि जब युवा समुह अपने पूरे जोश और मज़े को आवाज़ों की तेजी से व्यक़्त करता है। इसमें आवाज़ें और शरीर दोनों ही एक साथ काम करते हैं। हुल्लड़ ‘हल्ला’ को शारीरिक भाषा में ले आने का भी शब्द हैं। जैसे – हल्ला मचाना और हुल्लड़ करना कथनी से करनी की ओर ले जाता…

  • word of the week: कानाफूसी

    कानाफूसी कानाफूसी यानि कानों में फुस -फुसा-हट। ये मुँह से और मुँह के नजदीक कानों को जोड़ने वाली आवाज़ है। कई बार ये एक ही शख़्स तक सीमित नहीं रहता पर स्वर की मात्रा/आवाज़ों की ऊँचाई-निचाई/उतार-चढ़ाव उतनी ही रहती है जितना दो के लिए चाहिए। यहां कान महत्वपूर्ण है यानि पूरी कोशिश इसमें रहती है…

  • word of the week: चिल्ल पों

    चिल्ल पों चीख़-पुकार के नजदीक का शब्द है, पर ये मारपीट या करुणा वाले संदर्भ से अलग है। चिल्ल पों – यानि आवाज़ों की आपाधापी जिसके ऊपर जाकर आपको अपनी आवाज़ दर्ज करनी है। चिल्ल पों वाली आवाज़ सत्ता या किसी भी एक शख़्स की तरफ़ केंद्रित या सम्बोधित नहीं होती बल्कि ये आपस में…

  • word of the week: कोलाहल

    कोलाहल ये शोर के कड़क रूप के विपरीत एक कोमल शब्द है। ये शब्द कवियों के काफ़ी नज़दीक है। कोलाहल में ढेर सारी आवाज़ों की लयबद्धता होती है और ये कानों को चुभता नहीं है। लेकिन इसमें भी ढेर-सारी आवाज़ों का अस्पष्ट समुच्चय होता है। follow @delhilisteners on twitter for listening word of the week…